INTERNAL MOTIVATION

                                                                                     आंतरिक प्रेरणा

INTERNAL MOTIVATION

एक लड़का फुटबॉल खेलने की प्रैक्टिस करने लगातार आता था. लेकिन वह कभी टीम में शामिल नहीं हो सका। जब वह प्रैक्टिस

करता था, तो उसके पिता मैदान के किनारे बैठ कर उसका इंतजार करते रहते थे। मैच शुरू हुए तो वह लड़का चार दिन तक प्रैक्टिस करते नहीं आया। वह क्वार्टर फाइनल (quarter final) और वेसी करने नहीं आ-final) मैचों (matches) के दौरान भी नहीं दिवा फकिन वह लड़का फाइनल मैच (final match) के दिन आया और उसने कोच (coach) के पास जाकर कहा, “आपने मुझे हमेशा रिज़र्व खिलाड़ियों (reserve players) में रखा और कभी टीम में खेलने नहीं दिया, लेकिन कृपा करके आज मुझे खेलने दें।” कोच ने कहा, “बेटा, मुझे दुख है कि मैं तुम्हें यह मौका नहीं दे सकता। टीम में तुमसे अच्छे खिलाड़ी मौजूद हैं। इसके अलावा यह फाइनल मैच है। स्कूल की इज्जत दाँव पर लगी है। मैं तुम्हें मौका देकर खतरा मोल नहीं ले सकता।” लड़के ने मिन्नत करते हुए कहा, सर, मैं आपसे वादा करता हूँ कि मैं आपके विश्वास को नहीं तोहूँगा। मेरी आपसे विनती है कि मुझे खेलने दें।” कोच ने इससे पहले लड़के को कभी इस तरह विनती

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